PAK नेता का कबूलनामा: ‘हमले कराए… और आगे भी करेंगे’

लाल किले के पास हुआ धमाका: पाक नेटवर्क का हाथ?

10 नवंबर को दिल्ली के लाल किले के पास हुए कार ब्लास्ट में 14 लोगों की मौत हो गई थी। उस समय भारतीय एजेंसियों ने संदिग्ध मॉड्यूलों पर कार्रवाई की, जिसमें कई गिरफ्तारियाँ भी हुईं। चार दिनों तक चली जांच में यह सामने आया कि इस हमले को ‘व्हाइट-कॉलर’ नेटवर्क से जुड़े उमर उन नबी ने अंजाम दिया, जिसे फरीदाबाद से गिरफ्तार किया गया था।

जहाँ यह घटना भारत की सुरक्षा व्यवस्था पर सीधा हमला थी, वहीं चौधरी अनवरुल हक का यह बयान कि “हमने लाल किले से कश्मीर तक हमले कराए हैं और आगे भी करते रहेंगे” इस घटना की गंभीरता को कई गुना बढ़ा देता है।

यह बयान पाकिस्तान द्वारा लंबे समय से नकारे जा रहे आतंकवाद को वैश्विक मंच पर उजागर करता है।

पहलगाम हमले का भी स्वीकार—‘यह बदले की कार्रवाई थी’

बैसारन वैली, पहलगाम में हुए अप्रैल के हमले में 26 निर्दोष लोगों की हत्या की गई थी। इसे भारत की सुरक्षा एजेंसियों ने पाकिस्तान-स्थित आतंकी संगठनों की कार्रवाई बताया था।
अब, POK के राष्ट्रपति ने भी यही दोहराते हुए कहा कि ये हमले पाकिस्तान द्वारा “बलूचिस्तान में भारत की कथित हस्तक्षेप” का जवाब थे।

यह पहली बार है जब पाकिस्तान अधिकृत क्षेत्र के किसी शीर्ष नेता ने खुले तौर पर भारत में आतंकी गतिविधियों के लिए पाकिस्तान समर्थित संगठनों की भूमिका स्वीकार की है।

यह प्रत्यक्ष स्वीकारोक्ति भारत के तर्कों को मजबूत करती है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने पाकिस्तान की दोहरी नीति को उजागर करती है—एक तरफ शांति की बात, दूसरी तरफ आतंकवाद को संरक्षण।

भारत में सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता बढ़ी

हक के बयान के बाद भारतीय खुफिया एजेंसियाँ अलर्ट मोड पर हैं।
विशेषज्ञ मानते हैं कि—

  • यह स्वीकारोक्ति भारत में सक्रिय स्लीपर सेल्स, फंडिंग चैनल और मॉड्यूल की मौजूदगी के बड़े जाल को उजागर करती है।
  • यह भारत की आतंक-निरोधक नीति, कड़े सुरक्षा कानूनों और सीमा सुरक्षा के महत्व को और मजबूत करती है।
  • भविष्य में होने वाले हमलों की संभावना भी इन बयानों से बढ़ जाती है, क्योंकि हक ने स्पष्ट रूप से कहा कि “यह जारी रहेगा।”

राजनीतिक और कूटनीतिक तूफान

भारत में विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों ने इस बयान पर कड़ा रुख अपनाया है।

  • सरकार इसे पाकिस्तान के “राज्य प्रायोजित आतंकवाद” का सबसे बड़ा प्रमाण बता रही है।
  • विपक्ष ने कहा कि यह चेतावनी है कि भारत को अपनी सुरक्षा रणनीतियों को और सुदृढ़ करना होगा।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी यह बयान पाकिस्तान पर दबाव बढ़ा सकता है, क्योंकि FATF, संयुक्त राष्ट्र और वैश्विक सुरक्षा संस्थाएँ ऐसे मामलों में पाकिस्तान की भूमिका को बार-बार सवालों के घेरे में लेती रही हैं।

बयान के बाद पाकिस्तान में हलचल

चौधरी अनवरुल हक का कबूलनामा पाकिस्तान के भीतर भी राजनीतिक उथल-पुथल का कारण बन सकता है।
कई विश्लेषकों का कहना है कि—

  • यह बयान पाकिस्तान सरकार की आधिकारिक विदेश नीति से मेल नहीं खाता।
  • इससे पाकिस्तान की वैश्विक छवि को भारी नुक़सान होगा।
  • आतंकी संगठनों से असंबंधित होने के पाकिस्तानी दावों की पोल खुल गई है।

POK के नेता के ऐसे बयानों से यह भी स्पष्ट होता है कि पाकिस्तान में सत्ता संरचना और निर्णय लेने की प्रक्रिया किस हद तक कट्टरपंथी तत्वों से प्रभावित है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *