रहस्यमयी बीमारी का खौफ छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में बढ़ता जा रहा है। छिंदगढ़ ब्लॉक के धनीकोड़ता गांव में बीते दो माह में दो बच्चों समेत आठ ग्रामीणों की मौत हो चुकी है। मृतकों को हाथ-पैर में सूजन, बुखार और सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याएं थीं। लगातार हो रही मौतों के बाद स्वास्थ्य विभाग ने गांव में मेडिकल कैंप लगाया है।
गंभीर मरीजों को निजी साधनों से अस्पताल ले जा रहे परिजन
धनीकोड़ता गांव में स्वास्थ्य विभाग का कैंप पिछले तीन दिनों से जारी है। हालांकि, गंभीर मरीजों को परिजन निजी वाहन किराए पर लेकर जिला अस्पताल ले जा रहे हैं। मरीजों का कहना है कि वे स्वास्थ्य शिविर में जांच करवा चुके हैं, लेकिन राहत नहीं मिल रही।
मरीज गंगाराम ने बताया, “सीने और पेट में दर्द के साथ पेशाब में जलन हो रही है। 27 फरवरी को जिला अस्पताल में इलाज के बावजूद आराम नहीं मिला। दोबारा जांच करवाई, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है। ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन ने सिर्फ खानापूर्ति के लिए स्वास्थ्य शिविर लगाया है, लेकिन बीमारी की जड़ तक जाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
अब तक 350 से अधिक लोगों की जांच
बुधवार को एसडीएम विजय प्रताप खेस ने मेडिकल शिविर का निरीक्षण किया। अब तक 350 से अधिक ग्रामीणों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया, जिसमें—
- 9 मरीज मलेरिया से पीड़ित मिले।
- 37 मरीजों को बुखार और शरीर में दर्द की शिकायत मिली।
- 5 मरीजों में चेचक के लक्षण पाए गए।
- 1 मरीज को उल्टी की समस्या थी।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि रहस्यमयी बीमारी को लेकर विस्तृत जांच जारी है।
एक ही परिवार के दो भाइयों की मौत
गांव में 15 फरवरी को मुचाकी सुक्का (30) और मुचाकी गंगा (25) की मौत हो गई। दोनों भाई चेचक से पीड़ित थे और इलाज की बजाय झाड़-फूंक करवा रहे थे। समय पर उचित उपचार नहीं मिलने से उनकी मौत हो गई।
रहस्यमयी बीमारी की जड़ तक पहुंचने की जरूरत
गांव में अब तक आठ मौतों की पुष्टि हो चुकी है, लेकिन बीमारी के सटीक कारणों का पता नहीं चल सका है। ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम भेजकर मामले की विस्तृत जांच कराई जाए, ताकि सही इलाज किया जा सके और मौतों पर रोक लगाई जा सके।