Bihar Election Result 2024 ने जहां प्रदेश की राजनीति को झकझोरा, वहीं लालू प्रसाद यादव के घर के अंदर भी बड़ा भूकंप ला दिया। चुनाव परिणाम में राजद महज 25 सीटों पर सिमट गई। नतीजों के एक दिन पहले तेजस्वी यादव का बयान— “लिख लो, 18 को मैं शपथ लूंगा”—खूब चर्चा में रहा, लेकिन सियासी सपने टूटने के साथ परिवार की एकता भी बिखरती हुई नजर आई।
एग्जिट पोल तक एकजुट दिखने वाला यादव परिवार, परिणाम आने के बाद अचानक तीन हिस्सों में बंट गया। रोहिणी आचार्य के बयानों से स्थिति और गंभीर हो गई। सबसे बड़ा मोड़ तब आया जब घर के अंदर तेजस्वी की एक तरह से ‘ताजपोशी’ खुद ही हो गई, जबकि नौ भाई-बहनों में खाई और चौड़ी होती दिखी।
परिवार में विवाद के मुख्य कारण
1. राजनीतिक वर्चस्व की जंग
लालू प्रसाद यादव भले ही पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हों, लेकिन अब शक्ति का संतुलन उनके छोटे बेटे तेजस्वी की ओर झुक चुका है।
पहले, तेज प्रताप और तेजस्वी के बीच शक्ति संघर्ष खुलकर सामने आया था—तेज प्रताप को ‘अस्थिर’ और बाद में ‘आवारा’ घोषित किया गया, जिससे वे राजनीतिक रूप से हाशिये पर चले गए।
अब मामला बहनों के प्रभाव से जुड़ गया है—
- मीसा भारती राज्यसभा सांसद बनकर अपनी राजनीतिक पकड़ मजबूत कर चुकी हैं।
- रोहिणी आचार्य, जिन्होंने पिता को किडनी दान कर सहानुभूति पाई, टिकट न मिलने से आहत दिखीं।
- चंदा, रागिनी, हेमा, अनुष्का, राजलक्ष्मी, भले सीधे राजनीति में न हों, लेकिन परिवार की रणनीति में अहम भूमिका निभाती रही हैं।
चप्पल कांड की घटना के बाद रोहिणी का मीसा भारती के पास दिल्ली पहुंचना संकेत देता है कि परिवार के भीतर नया ध्रुवीकरण बन चुका है।
2. चुनाव परिणाम ने बढ़ाया तनाव
राजद के खराब प्रदर्शन ने परिवार के अंदर simmer हो रहे तनाव को खुला दिया।
तेजस्वी की मुख्यमंत्री बनने की संभावना खत्म होते ही घर के सभी समीकरण बदल गए।
परिणाम ने घरेलू समीकरणों में ‘विस्फोटक रसायन’ का काम किया।
3. नेतृत्व पर एकाधिकार की लड़ाई
तेजस्वी अब घर और पार्टी—दोनों जगहों पर सबसे प्रभावशाली चेहरा बन गए हैं।
लालू प्रसाद की उम्र और स्वास्थ्य, तथा राबड़ी देवी की सीमित सक्रियता के कारण नेतृत्व का केंद्र तेजस्वी ही हो गए हैं।
परिवार में यह स्वीकार्य नहीं है कि एक ही सदस्य सत्ता, पार्टी और परिवार—तीनों पर नियंत्रण रखे।
यही वजह है कि भाई-बहनों में असंतोष बढ़ गया है।