गोंडवाना मरीन फॉसिल पार्क, छत्तीसगढ़ का अनमोल धरोहर, 293 मिलियन साल पुराने समुद्री जीवाश्मों से पृथ्वी के भूगर्भीय इतिहास की झलक दिखाता है।
छत्तीसगढ़ की प्राकृतिक सुंदरता के बीच अब वैज्ञानिक पर्यटन को नया आयाम मिल रहा है। मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले में स्थित गोंडवाना मरीन फॉसिल पार्क, एशिया का सबसे बड़ा समुद्री जीवाश्म उद्यान है, जो पृथ्वी के 293 मिलियन साल पुराने इतिहास की झलक दिखाता है। यह वह समय था जब यह क्षेत्र एक ठंडे समुद्र के नीचे डूबा हुआ था।
इस पार्क की खोज 1954 में भूवैज्ञानिक एस.के. घोष ने कोयला खनन के दौरान की थी। इसे राष्ट्रीय भूवैज्ञानिक स्मारक का दर्जा प्राप्त है, जो इसकी ऐतिहासिक और वैज्ञानिक महत्ता को दर्शाता है। यहां से द्विपटली (बायवेल्व), गैस्ट्रोपॉड, ब्रैकियोपॉड, क्रिनॉइड और ब्रायोज़ोआ जैसे समुद्री जीवों के जीवाश्म मिले हैं। ये जीवाश्म तालचिर संरचना से संबंधित हैं, जो पर्मियन युग के शुरुआती दौर का प्रतिनिधित्व करते हैं।
शोधकर्ताओं का मानना है कि समुद्री जलस्तर में अचानक हुई वृद्धि के कारण यह क्षेत्र समुद्र में डूब गया था। ग्लेशियरों के पिघलने से समुद्र का जलस्तर बढ़ा और इस क्षेत्र में समुद्री जीवन की भरमार हो गई। बाद में जब जलस्तर घटा, तो ये जीवाश्म चट्टानों में दब गए और लाखों वर्षों में कठोर होकर जीवाश्म के रूप में संरक्षित हो गए।
यह पार्क न केवल छत्तीसगढ़ और भारत के लिए, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी एक महत्वपूर्ण भूवैज्ञानिक स्थल है। इसी तरह के जीवाश्म ब्राजील के पराना बेसिन, ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स, अंटार्कटिका के अलेक्जेंडर आइलैंड और दक्षिण अफ्रीका के कारू बेसिन में भी पाए गए हैं। इससे गोंडवाना महाद्वीप के भूगर्भीय इतिहास को समझने में महत्वपूर्ण मदद मिलती है।