धमाके से पहले डॉक्टर उमर मोबाइल शॉप में दिखा

दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास 10 नवंबर को हुए कार बम विस्फोट मामले में जांच एजेंसियों को एक और महत्वपूर्ण सुराग मिला है। फरीदाबाद की एक मोबाइल रिपेयर शॉप का नया CCTV फुटेज सामने आया है, जिसमें मुख्य आरोपी आतंकी डॉक्टर उमर नबी धमाके से ठीक पहले दिखाई दे रहा है। फुटेज में वह दुकान पर बैठा हुआ अपने बैग से मोबाइल फोन निकालकर दुकानदार को चार्ज करवाने के लिए देता हुआ दिखता है। यह दृश्य जांच में एक नई कड़ी जोड़ता है।

यूनिवर्सिटी परिसर से मिली सुरागों की श्रृंखला

जांच एजेंसियों के अनुसार, अल-फलाह यूनिवर्सिटी परिसर में पहले से ही संदिग्ध गतिविधियों की जानकारी मिल रही थी। 30 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर और फरीदाबाद पुलिस की संयुक्त टीम ने यहां से डॉ. मुज्जमिल अहमद गनेई उर्फ़ मुसैब को गिरफ्तार किया। इसी दौरान डॉक्टर उमर भी वहीं मौजूद था, लेकिन गिरफ्तारी का पता चलते ही वह तुरंत भाग निकला।

सूत्रों के अनुसार, डॉ. मुज्जमिल और डॉ. उमर दोनों बीते 2–3 महीनों से पाकिस्तान के एक हैंडलर के संपर्क में थे, जो लगातार उन्हें हिदायतें दे रहा था। मुसैब वरिष्ठ होने के कारण उसका संपर्क अधिक होता था, और गिरफ्तार होने से कुछ देर पहले तक वह पाकिस्तानी हैंडलर से निर्देश ले रहा था।

हथियार बरामद, साजिश तेज़

8 नवंबर को जब पुलिस दोबारा यूनिवर्सिटी परिसर में पहुंची, तो उन्हें डॉ. शाहीन की स्विफ्ट कार मिली, जिसका उपयोग डॉ. मुज्जमिल किया करता था। कार की तलाशी में राइफल, पिस्टल, मैगज़ीन और गोलियां बरामद हुईं। कार्रवाई घंटों चली और यह जानकारी तुरंत डॉक्टर उमर तक भी पहुँची।

सूत्र बताते हैं कि जब हथियार बरामद होने और जांच तेज़ होने की सूचना पाकिस्तानी हैंडलर तक पहुँची, तो उसे लगा कि यूनिवर्सिटी के आसपास छुपाए गए विस्फोटक भी पुलिस के हाथ लग सकते हैं। इसी डर से उसने उमर और अन्य सहयोगियों को संपर्क में जोड़कर तुरंत वारदात को अंजाम देने के निर्देश दिए — और दो दिन के भीतर दिल्ली में धमाका करा दिया गया।

मेवात समेत कई ठिकानों पर छुपा था उमर

गिरफ्तारी से बचने के लिए पाकिस्तानी हैंडलर ने डॉ. उमर को मेवात और आसपास के क्षेत्रों में छुपने के निर्देश दिए। कुछ स्थानीय संपर्कों को भी उसकी मदद के लिए लगाया गया, ताकि पुलिस की पकड़ से बचा जा सके।

दिल्ली ब्लास्ट केस में तेजी से खुलासे हो रहे हैं और जांच एजेंसियां अब CCTV फुटेज, डिजिटल डेटा और पाकिस्तानी हैंडलर से जुड़े नेटवर्क की गहन पड़ताल कर रही हैं।

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