मध्यप्रदेश की उच्च शिक्षा प्रणाली में ऐतिहासिक बदलाव होने जा रहा है। उज्जैन स्थित राज्य के सबसे पुराने विश्वविद्यालयों में शामिल विक्रम विश्वविद्यालय को अब एक नया नाम मिलने वाला है।
विधानसभा में पेश होगा नाम परिवर्तन विधेयक
28 जुलाई से शुरू हो रहे विधानसभा के मानसून सत्र में ‘विक्रम विश्वविद्यालय’ का नाम बदलने हेतु संशोधन विधेयक प्रस्तुत किया जाएगा। इसके साथ ही राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से संबंधित विधेयक भी लाया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने दी थी घोषणा
इस निर्णय की घोषणा मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने स्वयं विश्वविद्यालय के 29वें दीक्षांत समारोह में की थी। उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय पहले से ही सम्राट विक्रमादित्य के नाम पर है, लेकिन अब इसका नाम और भी स्पष्ट रूप से उनकी ऐतिहासिक पहचान को दर्शाएगा।
1957 में हुई थी स्थापना, उज्जैन की गौरवगाथा से जुड़ा है संस्थान
विक्रम विश्वविद्यालय की स्थापना वर्ष 1957 में हुई थी। यह संस्था उज्जैन जैसे धार्मिक और ऐतिहासिक शहर में स्थित है, जिसे सप्तपुरियों में स्थान प्राप्त है। शिक्षा, संस्कृति और परंपरा के संगम इस विश्वविद्यालय का नाम बदलकर सम्राट विक्रमादित्य करना उस गौरवशाली अतीत को सम्मान देना है।
राज्य के सबसे पुराने संस्थानों में से एक
मध्यप्रदेश के दो प्रमुख और पुराने विश्वविद्यालयों में से एक है उज्जैन का यह संस्थान, जबकि दूसरा है डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर। विक्रम विश्वविद्यालय का नाम परिवर्तन उसे राष्ट्रीय स्तर पर एक ऐतिहासिक पहचान प्रदान करेगा।