सुप्रीम कोर्ट ने वायु प्रदूषण को लेकर पंजाब सरकार से कड़ा सवाल किया है।
सर्दियों में बढ़ते प्रदूषण पर चिंता जताते हुए अदालत ने कहा कि पराली जलाने की समस्या को गंभीरता से निपटाना होगा। मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने पूछा कि आखिर क्यों न पराली जलाने वाले कुछ किसानों को गिरफ्तार कर सख्त संदेश दिया जाए।
सीजेआई ने सुनवाई के दौरान कहा कि किसान देश की रीढ़ हैं और उनकी वजह से हमें भोजन मिलता है, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि पर्यावरण से समझौता किया जाए। अदालत ने सुझाव दिया कि यदि राज्य सरकार वास्तव में प्रदूषण नियंत्रण के प्रति गंभीर है तो उसे दंडात्मक प्रावधानों पर विचार करना चाहिए।
जैव ईंधन का विकल्प
सीजेआई ने यह भी कहा कि पराली को जलाने के बजाय इसे जैव ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। उन्होंने जोर दिया कि यह प्रक्रिया लंबी नहीं होनी चाहिए और तुरंत ठोस कदम उठाए जाने चाहिए।
पंजाब सरकार का पक्ष
पंजाब सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में पराली जलाने की घटनाओं में काफी कमी आई है। आंकड़ों के अनुसार, पहले जहां लगभग 77,000 मामले दर्ज हुए थे, अब यह घटकर करीब 10,000 रह गए हैं।
हालांकि मेहरा ने यह भी कहा कि छोटे किसानों की गिरफ्तारी उनके परिवार पर प्रतिकूल असर डाल सकती है। इसके बावजूद सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया कि अगर राज्य सरकार ठोस कदम नहीं उठाती, तो अदालत को आदेश जारी करने पड़ सकते हैं।
अदालत के निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सहित उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान को अपने-अपने प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों में खाली पदों को भरने का निर्देश दिया है। अदालत ने स्पष्ट किया कि प्रदूषण कम करने और पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए सरकारों को सख्त कदम उठाने होंगे।