RCB की जीत से क्रिकेट प्रेमियों में खुशी की लहर दौड़ गई। फैंस ने पूरे देश में ढोल-नगाड़ों के साथ जश्न मनाना शुरू कर दिया। लेकिन यह खुशी कुछ ही समय बाद दर्दनाक मंजर में तब्दील हो गई। एक स्थान पर RCB की जीत का जश्न मनाने भारी संख्या में लोग एकत्र हुए, जहां भीड़ अचानक बेकाबू हो गई। अफवाहों के चलते लोगों ने मान लिया कि RCB के स्टार खिलाड़ी किसी सार्वजनिक स्थान पर नजर आएंगे, जिससे हजारों की संख्या में लोग वहां पहुंच गए।
बेकाबू हुई भीड़
भीड़ इतनी ज्यादा हो गई कि नियंत्रण पूरी तरह टूट गया। शुरुआती जानकारी के अनुसार, प्रशासन को इस तरह की भीड़ की उम्मीद नहीं थी, इसलिए पर्याप्त इंतजाम नहीं किए गए थे। इसी बीच किसी एक दिशा से धक्का-मुक्की शुरू हो गई और फिर भगदड़ मच गई। लोग जमीन पर गिरने लगे, कुछ कुचले गए और कुछ दम घुटने से बेहोश हो गए। इसी अफरा-तफरी में 11 लोगों की मौत हो गई, जबकि कई गंभीर रूप से घायल हैं।
स्थानीय पुलिस और बचाव दल तुरंत मौके पर पहुंचे, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। घायलों को अस्पताल पहुंचाया गया है और मृतकों के शवों की पहचान की जा रही है। घटनास्थल को सील कर दिया गया है और पूरे इलाके में धारा 144 लागू कर दी गई है। राज्य सरकार ने इस हादसे की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं और मृतकों के परिजनों को मुआवजे के रूप में ₹5 लाख देने की घोषणा की है।
लाचार व्यवस्था या लापरवाह लोग
RCB भगदड़ मौत ने एक बार फिर सवाल खड़े किए हैं कि क्या हमारी व्यवस्था इस तरह की भीड़ को संभालने में सक्षम है? क्या सोशल मीडिया पर वायरल अफवाहों को रोकने के लिए कोई प्रभावी तंत्र मौजूद है? ये सवाल इसलिए जरूरी हैं क्योंकि एक छोटी सी सूचना ने 11 जिंदगियां छीन लीं। घटना के बाद सोशल मीडिया पर वीडियो और तस्वीरें वायरल हो रही हैं, जिनमें चीख-पुकार, भगदड़ और अफरा-तफरी साफ देखी जा सकती है। इस हादसे ने एक बार फिर साबित कर दिया कि उत्सव की भीड़ कभी भी बेकाबू होकर जानलेवा बन सकती है।
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