Rajasthan folk art festival: रंग, संगीत, परंपरा

जयपुर में 5–7 जुलाई तक राजस्थान लोक कला उत्सव, 300+ कलाकार, 50+ लोक परंपराएं, 70 हस्तशिल्प स्टॉल और 10 वर्कशॉप के साथ।

राजस्थान लोक कला उत्सव: जयपुर में सांस्कृतिक धरोहर का संगम</h1>

राजस्थान की ऐतिहासिक राजधानी जयपुर 5–7 जुलाई तक लोककला, संगीत और शिल्प का भव्य उत्सव मना रही है।
“Rajasthan Folk Art Festival” के अंतर्गत 300 से अधिक लोक कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया है।
उत्सव का आयोजन राजस्थान पर्यटन विभाग द्वारा कला एवं संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से किया जा रहा है।

इस कार्यक्रम का उद्देश्य राजस्थान की पारंपरिक कलाओं को संजोना और युवाओं को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ना है।
हर दिन अलग-अलग थीम पर आधारित प्रस्तुतियाँ आयोजित हो रही हैं—पहला दिन लोक नृत्य, दूसरा दिन पारंपरिक संगीत, और तीसरा दिन शिल्प व नाट्य कला के नाम रहा।


🔍 प्रमुख कार्यक्रम और आकर्षण

दिनकार्यक्रमविशेषताएं
📅 5 जुलाईउद्घाटन समारोह, कालबेलिया नृत्यमशहूर कलाकार गुलाबो सपेरा की प्रस्तुति
📅 6 जुलाईभील-गौरिया नृत्य, पपेट शोलकड़ी की कठपुतलियों के माध्यम से लोककथाएं
📅 7 जुलाईबांस की बुनाई, लोक रंगमंचस्थानीय बच्चों द्वारा प्रस्तुत ‘पाबूजी की पड़’

अन्य आकर्षणों में रंगोली प्रतियोगिता, राजस्थानी वेशभूषा शो, परंपरागत व्यंजन स्टॉल, और डिजिटल VR अनुभव भी शामिल हैं।
70 से अधिक हस्तशिल्प स्टॉल में मिट्टी के बर्तन, लाख की चूड़ियाँ, ऊँट की खाल पर नक्काशी, और बंधेज वस्त्र खरीदारों का ध्यान खींच रहे हैं।


Rajasthan folk art festival का सांस्कृतिक महत्व

  1. सांस्कृतिक पुनरुत्थान: भूले-बिसरे लोकनाट्य, गीत और वाद्ययंत्रों को फिर से मंच पर लाया गया।
  2. आर्थिक अवसर: ग्रामीण शिल्पकारों को सीधे खरीदारों से जुड़ने का अवसर, बिना किसी बिचौलिए के।
  3. शिक्षात्मक पहल: स्कूली बच्चों के लिए लोककला पर आधारित 10 वर्कशॉप और ओपन थिएटर शिक्षण सत्र।
  4. महिला भागीदारी: महिला स्वयंसेवी समूहों द्वारा कढ़ाई, जैविक उत्पाद, और हर्बल रंगों की प्रदर्शनी भी खास आकर्षण बनी।

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