मिशन की रूपरेखा
18 जून 2025 को न्यू रिलीज़ होने वाले NISAR (NASA–ISRO Synthetic Aperture Radar) उपग्रह को सतीश धवन स्पेस सेंटर, श्रीहरिकोटा से लॉन्च करने की तैयारी है। यह संयुक्त मिशन कुल $1.5 बिलियन की लागत से तैयार किया गया है। रडार तकनीक के ज़रिए यह धरती की सतह को सेंटीमीटर स्तर की सटीकता से दिन या रात, कहीं भी स्कैन करेगा।
NISAR रंग-बिरंगी इमेज नहीं बल्कि रडार डेटा देगा—जिससे मौसम की बाधा न पड़ेगी—और आपदाओं के बीच समय पर जानकारी उपलब्ध होगी।
🛡️ डिजास्टर मैनेजमेंट और पर्यावरण संरक्षण
NISAR सबसे अहम भूमिका निभाएगा—रियल टाइम डिजास्टर मॉनिटरिंग में। भूकंप, बाढ़, जमीन खिसकने या हिमनदों की वापसी जैसे खतरों पर तुरंत निगाह रखेगा । इससे बचाव प्रयास और तैयारियाँ प्रभावी होंगी।
साथ ही, NISAR फ़ॉरेस्ट्स, वेटलैंड्स, ग्लेशियर्स, तटरेखा और तेल रिसाव जैसे इकोलॉजिकल बदलावों पर भी निगरानी रखेगा, जिससे पर्यावरणीय संरक्षण और कृषि योजना को नई दिशा मिलेगी।
💡 तकनीकी विशेषताएँ
- सिंथेटिक अपर्चर रडार (SAR): 24/7 निगरानी, कोई भी मौसम बाधा नहीं पहचानेगी ।
- सेंटीमीटर लेवल रिज़ोल्यूशन: फायबर की तरह बारीकी से ज़मीन में बदलाव को पकड़ सकेगा।
- डाटा-शेयर कॉ-पब्लिशिंग: NASA और ISRO दोनों रिसर्चरों के लिए उपलब्ध रहेगा।
🌐 वैश्विक महत्व और भारत की भूमिका
यह मिशन पृथ्वी-निगरानी के अगले स्तर पर लेकर जाएगा, विशेषकर उन चुनौतियों से निपटने में जो भारत जैसे विविध और जोखिम-ग्रस्त देशों में आम हैं।
इसमें ISRO का सहयोग विमान-तल और संचार प्रणाली में योगदान देगा, जबकि NASA रडार डिज़ाइन, उपग्रह कॉन्फ़िगरेशन और वैश्विक डेटा साझाकरण सरकारे प्रदान करेगा timesofindia.indiatimes.com।
🎯 क्यों है NISAR महत्वपूर्ण?
- तत्काल प्रतिक्रिया: प्राकृतिक आपदाओं पर समय रहते कार्रवाई करना संभव होगा।
- कृषि और वन संरक्षण: सटीक डाटा-ड्रिवन निर्णय, जैसे बाढ़ के जोखिम वाले क्षेत्र चिन्हित करना।
- वैश्विक डेटा उपलब्धता: अंतरराष्ट्रीय सहयोग से शोध और नीति निर्माण को ताज़ा और बेहतर इन्पुट मिलेगा।
- तकनीकी गठबंधन का नमूना: यह पहल भारत और अमेरिका के बीच अंतरिक्ष एवं पर्यावरण क्षेत्र में सहयोग का प्रतीक बन सकती है।